निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 27 जून 2024

इतिहास

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  जो हमने पढ़ा है और सुना है उनमें तुम हो कहीं भी नहीं इतिहास भी तो छुपाता बहुत . भला बिन तुम्हारे इतिहास कहीं   तुम्हें ही तो पड़ता रहा हूँ ह...
बुधवार, 26 जून 2024

श्रमिक

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 राहें हैं पर उनपर विरले पथिक हैं तेज गति वाहनों की लगती होड़ है श्रमिक भी अब दिखते बहुत कम मशीनों से मेहनत होती जी तोड़ है खेत हो खलिहान हो ग...

भ्रम

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अर्धनारीश्वर

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 पनघट पर बालाओं की बदली सी चाल मटकी भार संतुलन था या कान्हा तान कटि पर गगरी कांधे मटकी थी सबकी कंकड़ियां से फूटी मटकी बाला हंस दी कान्हा दृष्...

पनघट ज्ञान

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 पनघट पर बालाओं की बदली सी चाल मटकी भार संतुलन था या कान्हा तान कटि पर गगरी कांधे मटकी थी सबकी कंकड़ियां से फूटी मटकी बाला हंस दी कान्हा दृष्...
सोमवार, 24 जून 2024

मन रे कुहूक

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 अच्छा, कहिए बात कहीं से सच्चा करिए साथ यहीं से व्योम भ्रमण नहीं भाता है नात गाछ हरबात जमीं से मन उभरा, रही संयत प्रतिक्रिया कहे अभिव्यक्ति ...
2 टिप्‍पणियां:

नैन

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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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