सोमवार, 24 जून 2024

नैन

 कहां तक डुबाएँगी कह भी तो दीजिए
निगाहों की लहरों से जूझ सका कौन
अद्भुत अनुभूति नयन जल भावप्रीति
डूबने की भीति से दबा हृदय है मौन
 
तैराक यदि नहीं तो पटके हाँथ पांव
ठाँव किनारे तक हो प्रयास आध-पौन
कनखियों से ताक दें तो उठे सुनामी
झपक जाएं पलकें तो गिरे आरूढ़ डैन
 
नयन गहन स्मिति सघन कैसे वहन
कोमलता, चंचलता लहरें सुगम छपकौन
मन समर्पित प्यार अर्पित हो गर्वित
नयन बसा कीजिए न पूजा गणगौर।
 
धीरेन्द्र सिंह
24.06.2024

21.41



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