निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 17 जून 2024

मांजने को पद्य

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 उसने कहा था पद्य से अच्छा लिखते गद्य कविता से मैं उलझ पड़ा मांजने को पद्य लगा बांधने उसको शब्दों की वेणी में काव्य-काव्य ही रच रहा उसके श्रे...

नारी

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 मोहब्बत नहीं बस प्यार चाहिए सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए शायरी की संस्कृति में है पर्देदारी काव्य सर्जना में सर्वनेत्री है नारी नारी का सर्वा...

ब्लॉक

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 प्यार की परिणीति होती है आध्यात्म ब्लॉक हैं तो ना सोचिए प्यार समाप्त तेवर, कलेवर, अहं, सुनी-सुनाई बात लोग चाहें डुबोना करते हैं मीठे घात सो...
शनिवार, 15 जून 2024

फरीदाबाद की

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  पंडित , पादरी , मौलवी कहें चालबाज है फरीदाबाद की अतृप्ता तो इश्कबाज है   एक मित्र पूछी क्यों लिखते फरीदाबाद कहा एक मित्र वहां मृत ...
शुक्रवार, 14 जून 2024

नयनों की बतियाँ

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  जंगल , पर्वत , झरने , नदियां सब तेरे नयनों की बतियाँ   कोई कुछ भी तुन्हें जैसे बोले हिय मेरे तेरा मौसम ही डोले तुम लगती हो प्रिए...
गुरुवार, 13 जून 2024

लाठी बनाकर

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 मुझे शब्द की एक काठी बनाकर कोने में रख गए हैं लाठी बनाकर कहता था अक्सर शब्द ही ब्रह्म है शब्द में हों अभिव्यक्त प्रथम कर्म है चलते बने वह च...

दमित भावनाएं

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 बलवती हो रही हैं निज भावनाएं एक आप कर रहीं दमित कामनाएं एक अकुलाहट में निहित बुलाहट एक मनआहट में विस्मित कबाहट संशय तोड़ उभरतीं संभावित पताक...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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