निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 14 जून 2024

नयनों की बतियाँ

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  जंगल , पर्वत , झरने , नदियां सब तेरे नयनों की बतियाँ   कोई कुछ भी तुन्हें जैसे बोले हिय मेरे तेरा मौसम ही डोले तुम लगती हो प्रिए...
गुरुवार, 13 जून 2024

लाठी बनाकर

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 मुझे शब्द की एक काठी बनाकर कोने में रख गए हैं लाठी बनाकर कहता था अक्सर शब्द ही ब्रह्म है शब्द में हों अभिव्यक्त प्रथम कर्म है चलते बने वह च...

दमित भावनाएं

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 बलवती हो रही हैं निज भावनाएं एक आप कर रहीं दमित कामनाएं एक अकुलाहट में निहित बुलाहट एक मनआहट में विस्मित कबाहट संशय तोड़ उभरतीं संभावित पताक...

आतुर थाली

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ज्योतिष कह रहा कोई आनेवाली है तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है   अनुभूतियां नियुक्तियां मधु तरंग करें रिक्तियां मुक्तियाँ लखि प्रबंध...
बुधवार, 12 जून 2024

जिद्दी

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 सुबह ढल रही है उदय शाम हो कहो ज़िद्दी ऐंठन भरी तान हो प्रेम की आपकी कई परिभाषाएं एक समझें कि दूजी उभर आएं नए प्रेम की आवधिक गान हो कहो ज़िद्द...
मंगलवार, 11 जून 2024

फरीदाबाद

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 उसके फोन में इतने नाम हैं लगे सब ही उलझे, बेकाम हैं हर किसी से हो बातें आत्मीय सब सोचें संबंध यह सकाम है क्यों लरजती है इस तरह लज्ज़ा चूनर ल...

अनुरागी

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 एकल प्रणय प्रचुर अति रागी खुद से खुदका गति अनुरागी तन की दहकती हैं खुदगर्जियाँ मन में आंधियों सी हैं मर्जियाँ समय की धूनी पल क्या पागी खुद ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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