ज्योतिष कह रहा कोई आनेवाली है
तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है
अनुभूतियां नियुक्तियां मधु तरंग करें
रिक्तियां मुक्तियाँ लखि प्रबंध करें
नयन प्रतिबद्धता ने राह खंगाली है
तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है
आगत के स्वागत का नव वृंदगान है
पलकों के गलीचे का कोमल विज्ञान है
अधर शब्द पुष्पगुच्छ सांसें ताली हैं
तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है
किस योग्यता का न्यौता मन ब्यौता
किस भव्यता से हृदय को हृदय सौंपा
अक्षत, मिष्ठान, दीप ले आतुर थाली है
तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है।
धीरेन्द्र सिंह
12.06.2024
22.43
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