निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 7 जून 2024

दौड़ते जा रहा

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 दाल उबल रही भोजन की आस है पेट का नाम ले संभावना हताश है यह एक क्षद्म है या स्व छलावा दौड़ते जा रहा कहे जिंदा लाश है रूठ गयी कविता बोली भाव न...
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गुरुवार, 6 जून 2024

लोक सभा 24

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 धैर्य सहित प्रतीक्षा सदीक्षा की आस्था राम मंदिर निर्माण जन-जन की आशा भव्य निर्माण में दिव्य उपलब्धियां हैं सरकार, न्यायालय ने रोका था तमाशा...
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बुधवार, 5 जून 2024

तुम चलोगी

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 प्रणय पग धीरे-धीरे मन के तीरे-तीरे कहो, तुम चलोगी संग मेरे बहोगी सपनो को घेरे-घेरे मन के तीरे-तीरे आत्मिक है निमंत्रण सुख शामिल प्रतिक्षण उ...
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शनिवार, 1 जून 2024

ना झूम पाए

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 बहुत डूबकर भी न हम डूब पाएं डुबकी भटकी या बुलबुले सताएं मचलती बहुत ज़िंदगी है दुलारी खुदकी है मस्ती पर ना झूम पाएं निगाहों के चितवन भी भ्रम ...
गुरुवार, 30 मई 2024

सतकर्मा

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  आप जब महके चमन गए शरमा आप जब चहके गगन गए भरमा यूं ही हैं अनोखे आप जानते नहीं मुझसे हुए परिचित शायद सतकर्मा   आपको समझूं तो उठे झ...
सोमवार, 27 मई 2024

देह

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  राधा - कृष्ण , शिव - शक्ति की कर चर्चाएं प्रेम का रूप गढ़ें , लक्ष्य क्या कौन बताए यदि आध्यात्म प्यार भक्ति मार्ग जाएं मानव बीच रहक...
रविवार, 26 मई 2024

प्रेम परिभाषा

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  प्रेम की फिर मिली वही परिभाषा देना ही देना प्राप्ति की न आशा   कहां मिलते ऐसे जो करते ऐसा प्रेम कब खिलते मन जो करते ऐसा मेल क्...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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