बुधवार, 5 जून 2024

तुम चलोगी

 प्रणय पग धीरे-धीरे

मन के तीरे-तीरे


कहो, तुम चलोगी

संग मेरे बहोगी

सपनो को घेरे-घेरे

मन के तीरे-तीरे


आत्मिक है निमंत्रण

सुख शामिल प्रतिक्षण

उमंग मृदंग फेरे-फेरे

मन के तीरे-तीरे


व्यग्र समग्र जीवन

चतुराई से सीवन

छुपाए तागे उकेरे-उकेरे

मन के तीरे-तीरे


आओ करें मनमर्जियाँ

अनुमति की ना मर्जियाँ

नव उद्गम धीरे-धीरे

मन के तीरे-तीरे।


धीरेन्द्र सिंह

06.06.2024

05.16



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