निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 21 मार्च 2024

नारी

›
 सघन हो गगन हो मनन हो सहन हो समझ हो नमन हो सदियों से प्रकृति में है बसेरा देहरी के भीतर की हैं सवेरा जीवन डगर पर भी चमन हो सहन हो समझ हो नमन...
बुधवार, 20 मार्च 2024

दिल दहल गया

›
  प्यार का रूप देख जग दहल गया कदम थे कोमल तूफान टहल गया   मीठी बातों में अपनत्व की झंकार छत पर उन्मत्तता बहकी लगे बयार व्योम का ...

गौरैया मेरी

›
 गौरैया दिवस 20 मार्च 2024 के लिए :- मेरे घर मुंडेर ना कोमल छैयां आती न मुंडेर अब वह गौरैया ना दाना का मोह ना चाहे पानी फुदकन नहीं उसकी है न...
मंगलवार, 19 मार्च 2024

वहीं से चले

›
 वहीं से उतर कहीं वाह हो गए वहीं से चले थे वहीं राह हो गए अकस्मात है या कि कोई बात है अनुबंध है या वही जज्बात है कदम थे भटके या राह खो गए वह...

शोख रंग

›
 शोख रंग अब जाग रहे हैं मन ही मन कुछ ताग रहे हैं मौसम है कुछ कर जाने का संग अभिलाषाएं भाग रहे हैं अबीर-गुलाल कपोल से भाल शेष रंग में निहित ध...
शनिवार, 16 मार्च 2024

ना जाने

›
 ना जाने हम कैसे महकते रहे चली राह वैसे हम चलते रहे एक संगीत गूंजती थी मेरे साथ अलमस्त गीतों को रचते रहे मिली कुछ अदाएं जैसी फिजाएं आँचल सी ...

वह हैं कहते

›
 मुझे इन पलकों से अनुमति मिली है अब वह हैं कहते कि सहमति नहीं है नयन के विवादों से हुआ था समझौता नत होकर पलकों ने दिया तब न्यौता अधर स्मिति ...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.