प्यार का रूप देख जग दहल
गया
कदम थे कोमल तूफान टहल गया
मीठी बातों में अपनत्व की
झंकार
छत पर उन्मत्तता बहकी लगे
बयार
व्योम का असीमित रंग विकल
भया
कदम थे कोमल तूफान टहल गया
बच्चों की मासूमियत भरा हुआ
प्यार
बालक की निर्मलता सी प्रीत
फुहार
निर्मोही देह से ले दिल सकल
गया
कदम थे कोमल तूफान टहल गया
प्यार के उमंग में था होली का तरंग
क्या पता था छत पर कटेगी
पतंग
विश्वास कैसे प्यार मर्दन
चपल किया
कदम थे कोमल तूफान टहल गया।
धीरेन्द्र सिंह
20.03.2024
20.08
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