निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 26 अप्रैल 2023

डाली सी तुम

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 डाली सी तुम  लचकती डालियों में पुष्प बहार है कब कही डाली बहुत ही भार है  प्रकृति सौंदर्य का एक प्रतिमान है सुगंध, रंग का एक अभिमान है डालिय...
बुधवार, 12 अप्रैल 2023

घुसपैठिया

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 जब मैं तुम्हारी निगाहों से उत्तर जाता हूँ दिल में तुम्हारे और बैठ जाता हूँ दिल के किसी कोने में तो तुम नहीं समझ पाती यह पैठ भला कहां समझ आत...

जीवन

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 यादों के बिस्तर पर अभिलाषाओं की करवटें सिलवटों में दर्द उभरे भावनाओं की पुरवटें दिल में पदचाप ध्वनि पलक बंद ले तरवटें अनुभूतियों की आंधी चल...

क्यों श्रृंगार पर रचें

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प्रेमिका प्रेमी यदि अपना भगा दे विखंडित हो ही जाती संलग्नता विगत जुगनू सा चमका लगे तो चाह हंसती समाए कुरूप नग्नता समर्पण करनेवाला करे जब तर्...

यादों की छुवन

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मन किसी धूप के टुकड़े में डूबी सर्दी है आप चाहें न चाहें आपकी यह मर्जी है एक हालत में उलझी हुई है जिंदगी यह आपकी याद समझना ना खुदगर्जी है अलह...

कृष्ण हो जाना

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 चाह की गगरी में इश्क का बुदबुदाना आग दिल की और उनका उबल जाना यह राह है जीवन की उमंगों की चहल खयालों में लिपटकर आहिस्ता इतराना पहली जल वलय ह...

दिमाग से लिखी कविता

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चाहत आपके द्वार खड़ा, बन अनुरागी राहत की क्यों चाह, सभी तो प्रतिभागी कदम प्रति कदम चयन, मिले चुनौती कौन सहज धुन संग, प्रीत समभागी अनुनय-विनय ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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