जैविक देह दलान है
मनवा का ढलान है
सरपट भागे आड़ाटेढ़ा
दूर लगे मचान है
करधन टूटी बर्तन टूटा
कौन मगन कौन रूठा
लगता भेड़ियाधसान है
दूर लगे मचान है
अक्कड़-बक्कड़ मुम्बई
बो
छोड़ बनारस गए खो
भाषा वही बदला परिधान है
दूर लगे मचान है
जैविक जीव की लाचारी
मनवा गांव की बारी-बारी
धड़ ऊपर कमरधसान है
दूर लगे मचान है।
धीरेन्द्र सिंह
19.04.2024
17.35
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