निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 29 जनवरी 2025

अग्नि

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 रात यादों में सो ही जाती है जिंदगी अक्सर खो जाती है अलाव दिल के रहते जलते ठिठुरन फिर भी सताती है कर्म की अंगीठी पर कामनाएं  धर्म की अनबुझी ...
1 टिप्पणी:

मैंग्रोव

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 पथरीली राह और राह के दोनों ओर मीलों दूर तक फैला मैंग्रोव, अपनी जड़ों की बनाए पकड़ सागर की लहरें समझें धाकड़, रोज गुजरते हैं कदम राह के पत्थरों...
सोमवार, 27 जनवरी 2025

साइबेरियन पक्षी

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 समूह एक प्राकृतिक व्यूह सृष्टि में दिखता है चहुंओर इसीलिए जीवन है एक शोर, शांति या सन्नाटा जीवन का है ज्वार-भाटा सागर जल की तरह रहता है आता...
शनिवार, 25 जनवरी 2025

बंदगी

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 चलिए न जिस तरह ले चलती हैं जिंदगी यह भला क्या बात हुई चाहिए न बंदगी उड़ान के लिए एक छोर चाहता है बंदगी वरना उड़ा ले जाएगी अनजानी जिंदगी अच्छा...
शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

आंधी

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 चीख निकलती है हलक तक आ रुक जाती है यह मात्र वेदना है या एक विद्रोह की आंधी है गरीबी, लाचारी में चीख अब बन चुकी है आदत मजबूरियां चीखती रहती ...
गुरुवार, 23 जनवरी 2025

मनसंगी

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 भावनाएं मेरी नव पताका लहराती बहुरंगी है प्यार हमारी दुनियादारी कहलाती अतिरंगी है नयन-नयन बात नहीं शब्द-शब्द संवाद गहे बौद्धिकता से विलग रहे...
बुधवार, 22 जनवरी 2025

तीन चर्चित

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 आस्था जहां हो समूह वहां सर्जना है तीन चर्चित हुए प्रश्नांकित अर्चना है त्रिवेणी के जलधार कुम्भ के बन तोरण अखाड़े मिल आस्थाओं का करें आरोहण त...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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