निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 22 नवंबर 2024

साहित्य

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 साहित्य जब से स्टेडियम का प्यास हो गया धनाढ्य वर्ग का साहित्य तब घास हो गया विश्वविद्यालय सभागार में खिलती संगोष्ठियां महाविद्यालय कर स्वीक...
गुरुवार, 21 नवंबर 2024

रचना

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 अति संवेदनशील पुरुष जब कला के किसी विधा की करता है रचना  तब प्रमुख होती है नारी उसके मन-मस्तिष्क में बनकर सर्जना की ऊर्जा, संवेदनाओं की तलह...
बुधवार, 20 नवंबर 2024

अच्छा दिखना

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 कैसी हो मन ने कहा तो पूछ लिया, तुरंत उनका उत्तर आया ठीक हूँ, आप कैसे हैं, बहुत अच्छा लगा  आपका मैसेज पढ़कर, अभी अमेरिका में हूँ वह बोलीं; मे...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 19 नवंबर 2024

नगाड़ा

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 जिसका जितना सहज नगाड़ा उसका उतना सजग अखाड़ा प्रचार, प्रसार, विचार उद्वेलन घर निर्माण संग चौका बेलन भीड़ जुटाएं सिखाएं पहाड़ा उसका उतना सहज अखाड़...
सोमवार, 18 नवंबर 2024

सर्द पंक्तियां

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 सर्द-सर्द पंक्तियां क्यों हमारे दर्मियाँ चाह की चाय आह की चुस्कियां गर्माहट मंद हुई क्यों हमारे दर्मियाँ सर्द-सर्द पंक्तियां क्यों हमारे दर...
रविवार, 17 नवंबर 2024

सर्दी

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 सर्दियों की दस्तक है गर्माहट ही समीक्षक है मौसम के कई प्रश्नपत्र सिहरन बनी अधीक्षक है सर्द हवाएं त्वचा बेचैन गर्म वस्त्र लकदक हैं दिन पीछे ...
शनिवार, 16 नवंबर 2024

नेतृत्व

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 नेतृत्व -  नेतृत्व विश्वमयी मानव तत्व पर छाते अंधियारे विश्व किसको डांटे कुनबा-कुनबा निज अस्तित्व, नेतृत्व-नेतृत्व युद्ध कहीं चल रहा कहीं आ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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