कैसी हो
मन ने कहा
तो पूछ लिया,
तुरंत उनका उत्तर आया
ठीक हूँ, आप कैसे हैं,
बहुत अच्छा लगा
आपका मैसेज पढ़कर,
अभी अमेरिका में हूँ
वह बोलीं;
मेरी परिचितों में
सबसे सुंदर दिखनेवाली
मित्र हैं मेरी,
अपने व्यक्तित्व को
नहीं आता प्रस्तुत करना
सबको,
यह निष्णात हैं
निगाहों को स्वयं पर
स्थिर रखने का
कौशल लिए;
जीवन की
लंबी बातचीत बाद
वह बोलीं
“मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है
अच्छा दिखना, सेल्फी लगाना
अच्छा पहनना,
पता नहीं उससे कब उबर पाऊंगी”
मैंने टाइप किया
“कितनों को आता है अच्छा दिखना
अपने आप को जो जानता है,
अपने को प्यार करता है
वही स्वयं को संवार सकता है,
इसे मत छोड़िएगा क्योंकि
यह अभिव्यक्ति है आपकी
यह आपकी अपने स्व की पूजा है”
उसने मुस्कराहट भेज दी
इमोजी संग और बोली
“सेल्फी तो लगते ही इसलिए कि
लोग देखे तो,
कोई शिकायत ही नहीं है किसी से”
कहां मिल पाता है ऐसा
उन्मुक्त विचार और सर्जना, प्रायः,
वह टाइप की
“चलिए शुभ रात्रि
आपके यहां रात हो गई
हमारी सुबह है”
नारी के इस व्यक्तित्व में
घूमती रही कविता
और शब्द उभारने लगे
अपने विविध गूढ़ भाव
और जिंदगी
देखती रही मुझे।
धीरेन्द्र सिंह
20.11.2024
21.09
बहुत सुंदर
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