निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 29 सितंबर 2024

ऐ सखी

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 ऐ सखी ओ सखा प्रीत काहे मन बसा आप तो लिखते नहीं क्या मैं हूँ फंसा इतना हूँ जानता जो जिया मन लिखा बेमन है जो लिखे खुद कहां पाते जीया जीतना कह...
शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

त्रिनेत्र

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 या तो आंख मूंद लें या देखें अपना क्षेत्र पढ़ लिए समझ लिए अब खोलना त्रिनेत्र छः सात वर्ष की बच्चियां यौन देह क्रूरता बालिका क्या समझे कैसे कौ...
गुरुवार, 26 सितंबर 2024

वशीभूत

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 मन है बावरा, मन उद्दंड है तन वशीभूत, उन्मादी प्रचंड है  प्रत्येक मन में अर्जित संस्कार प्रत्येक जन में सर्जित संसार सबकी दुनिया अपना प्रबंध...
सोमवार, 23 सितंबर 2024

देहरुग्ण

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 ना समझ आने का दुख तो बहुत है जब वह अपनी कुंठाएं बताए, क्या करूँ ऑनलाइन समूह में यौन उन्माद मिलता प्यार विकृत घिनौना चिढ़ाए, क्या करूँ चंद हि...
रविवार, 22 सितंबर 2024

बाजू

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 उन महकते बाजुओं में आसुओं की नमी बाजुओं को ना छुएं आंसुओं की हो कमी बह गया उल्लास के चीत्कार में वह नयन और मन उदास हो सूखता देखे है उपवन खु...

अनकही

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अनकही बात भी करती बतकही रहने दें तो क्या न होगी कहाकही उन आँखों के सवाल मचाते धमाल इन आँखों के जवाब थे कब सही यूं ना हमको अब आप भरमाइए मानता...
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शनिवार, 21 सितंबर 2024

जीवंत रचना

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उन्होंने किया अभिव्यक्त जीवित हूँ मैं श्वासों की गतिशीलता मेरे जीवित होने का प्रमाण है, फूल सी खिलखिलाती हूँ तुम्हारी और मेरी दृष्टि में बस ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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