अनकही बात भी करती बतकही
रहने दें तो क्या न होगी कहाकही
उन आँखों के सवाल मचाते धमाल
इन आँखों के जवाब थे कब सही
यूं ना हमको अब आप भरमाइए
मानता हूँ आप जो कहें है सही
आपके नयन करें चतुर्दिक गमन
मनन करते-करते रह गए हैं वहीं
और कितने हैं नयन भरे सवाल
दिल को कब तक रखें प्रश्न बही
अनकही बात रचे कब तक नात
स्पंदित भाव सघन झंकृत हो सही।
धीरेन्द्र सिंह
22.09.2024
17.36
भावपूर्ण सृजन
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