निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 21 सितंबर 2024

जीवंत रचना

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उन्होंने किया अभिव्यक्त जीवित हूँ मैं श्वासों की गतिशीलता मेरे जीवित होने का प्रमाण है, फूल सी खिलखिलाती हूँ तुम्हारी और मेरी दृष्टि में बस ...
शुक्रवार, 20 सितंबर 2024

उदासी

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 उदासी जल में गिरे उस कंकड़ की तरह है जिसमें नहीं उठती तरंगे गिरता है कंकड़ और  डूब जाता है ढप ध्वनि संग, उदासी वही ढप है, डूबता, डूबता, गहरा ...
गुरुवार, 19 सितंबर 2024

कठिन शब्द

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 क्यों लिखी जाती है कविता कठिन शब्दों से, सरल शब्द भी तो कह देते हैं वही बात, अक्सर उठता रहता है कठिन शब्दों का संवाद; कौन लिखता है कठिन शब्...
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मंगलवार, 17 सितंबर 2024

चिरौरियाँ

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  तत्व के महत्व की मनधारी मनौतियां घनत्व में सत्व की रसधारी चिरौरियाँ   भावनाएं उन्मुक्तता के दांव चल रहीं आराधनाएं रिक्तता की छांव ...
सोमवार, 16 सितंबर 2024

विसर्जन

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  डेढ़ दिन , पांच दिन , सात और दस दिन गणेश वंदना विसर्जन परम्परा है प्राचीन   शिल्पकार छोटी मूर्तियों में दिखाए कौशल आस्थाएं घर - घर ...
1 टिप्पणी:
रविवार, 15 सितंबर 2024

टिप्पणी

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 महक उठी सांसे सुगंधित लगे चिंतन शब्द पुष्प आपके टिप्पणी रूपी चंदन पोस्ट करते रचना तुरंत प्रतिक्रियाएं जैसे मां सरस्वती के सभी गुण गाएं अर्च...

अदब

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 अजब है गजब है फिर भी सजग है यह जीवन जी लेने का ही सबब है एक जिंदगी को सजाने का सिलसिला मित्रता हो गयी जो भी राह में मिला हर हाल, चाल ढूंढती...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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