क्यों लिखी जाती है कविता
कठिन शब्दों से,
सरल शब्द भी तो
कह देते हैं वही बात,
अक्सर उठता रहता है
कठिन शब्दों का संवाद;
कौन लिखता है
कठिन शब्द ?
रचनाकार ?
नहीं, लिखती है कविता
खुद की बहाती भावनाएं
शब्द स्वतः ही आ जाते हैं;
सरल शब्दावली में भी
होती हैं कविताएं,
जब जैसा भाव
वैसे शब्द फुदक आएं,
कविता खुद को लिखती
कैसे कोई समझाए;
उठती हैं प्रचंड आंधियां
भावनाओं की तब
होती है वैचारिक हलचल
और रचनाकार संतुलन बनाता
करता है अभिव्यक्त
शंकर की जटा की तरह
करता नियंत्रित भावनाओं का
गंगाजल;
विकट होती है परिस्थिति
शब्द संगत चाहे अभिव्यक्ति
ऐसे प्रचंड भाव
नहीं समेट पाते प्रचलित शब्द
तब कविता चुनती है
कम प्रयुक्त शब्द जैसे
चुनता है योद्धा दिव्यास्त्र
युद्ध की भीषणता में;
मत कहिए कठिन शब्द रचित
कविता का है रचनाकार दोषी,
रचनाकार तो भाव के वेग
और अभिव्यक्ति की आतुरता में
करता है संयमित अभिव्यक्ति
सर्फिंग करते हुए
कुशल खिलाड़ी सा।
धीरेन्द्र सिंह
19.09.2024
19.30
बहुत सुन्दर और सटीक
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