अजब है गजब है फिर भी सजग है
यह जीवन जी लेने का ही सबब है
एक जिंदगी को सजाने का सिलसिला
मित्रता हो गयी जो भी राह में मिला
हर हाल, चाल ढूंढती एक नबज़ है
यह जीवन जी लेने का ही सबब है
युक्ति से प्रयुक्ति का प्रचुर प्रयोजन
सूक्ति से समुचित शक्ति का संयोजन
सर्वभाव सुरभित स्वार्थ की समझ है
यह जीवन जी लेने का ही सबब है
भाषा, धर्म, कर्म का मार्मिक निष्पादन
बस्तियों का ढंग बदला कर अभिवादन
स्वार्थभरी कोशिश को कहते अदब हैं
यह जीवन जीत लेने का ही सबब है।
धीरेन्द्र सिंह
15.09.2024
23.28
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