निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 5 अगस्त 2024

भाग चलें

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 मन उलझी सुप्त भावनाओं को नाप चलें गृहस्थी से जुड़े हुए कुछ दिन भाग चलें कार्यमुक्त जब रहें मन यह उन्मुक्त रहे क्या सोचा था क्या हैं किसे व्य...

तुमको सोचा

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शांत थी मेरी सुबह की सड़क  बरस ही रहा था झूमता सावन बहुत दूर से देखा तुम आ रही यही होता मन मौसम हो, पावन समुद्री हवा के छाता पर थे थपेड़े या स...
रविवार, 4 अगस्त 2024

इस सावन

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 कोई शगुन हो कोई अब करामात हो इस सावन भींगे मन, ऐसी बरसात हो बदलियां हंसती-मुस्काती उड़ जाती है  पवन झकोरों को धर सुगंध भरमाती है  कभी तो लगे...
शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

हिंदी साहित्य

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 कल्पनाओं के नभ तले शाब्दिक दुलार हिंदी साहित्य वर्तमान में सुप्त प्यार शौर्य और प्यार का है गहरा अटूट नाता प्यार के बस छींटे लिखें शौर्य रह...

औकात

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 निभ जाने और सौगात की बात है कुछ कहें, दीवाने औकात की बात है हर दृष्टि हर ओर से नापती पहले हर सृष्टि हर पल ले साजती पहले हर बुद्धि करे विश्ल...
गुरुवार, 1 अगस्त 2024

एडमिन

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 एडमिन, मॉडरेटर संयुक्त यह समूह पर किसी एक से स्पष्ट युक्ति समूल रचना की सर्जना की प्रक्रिया समझ अपनी प्रतिक्रिया देने में सुस्ती ना भूल प्र...

हिंदी समूह

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 यह समूह, वह समूह, कह समूह हिंदी सकल समझ ले, बह समूह नियमों की कहीं चटखती चिंगारियां कहीं प्रतियोगिता की सुंदर क्यारियां हिंदी मंथन से रच भा...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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