कल्पनाओं के नभ तले शाब्दिक दुलार
हिंदी साहित्य वर्तमान में सुप्त प्यार
शौर्य और प्यार का है गहरा अटूट नाता
प्यार के बस छींटे लिखें शौर्य रह जाता
सीधे संघर्ष से पीछे हटता दिखें रचनाकार
हिंदी साहित्य वर्तमान में सुप्त प्यार
जिधर पढ़िए प्यार का टूटन, घुटन, मनन
बिना शौर्य प्यार कब निर्मित किया गगन
लगे लेखनी थकी-हारी लिए टूटा हुआ तार
हिंदी साहित्य वर्तमान में सुप्त प्यार
बेबाकी से विगत का वही लेखकीय जुगत
हिंदी है पार्श्व में, भाषा क्रम सक्रिय जगत
परम्परा प्रति मोहित वर्तमान च्युत हुंकार
हिंदी साहित्य वर्तमान में सुप्त प्यार।
धीरेन्द्र सिंह
03.08.2024
10.42
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