निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 30 जून 2024

दर्द

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  यह नहीं कि दर्द मुझ तक आता नहीं दर्द की अनुभूतियों का मैं ज्ञाता नहीं शिव संस्कृति का अनुयायी मन बना काली के आशीष बिन दिन जाता नहीं ...
शुक्रवार, 28 जून 2024

भीड़

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  कैसी यह मंडली कैसा यह कारवां भीड़ की बस रंग डाली - डाली है रौद्र और रुदन से होता है जतन उलाहने बहुत कि निगाहें सवाली हैं   क्या क...

बहार

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  हृदय की अनुभूतियों में कोमल सा छन्न धन्य उस अनुभूति का एकाकार हो गया भावनाएं उत्सवी उल्लास में हंगामा करें धड़कनें आतिशबाजी सी कहें प...

कैसी आवाज है

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 हर मौसम का अपना ही मिज़ाज है हर मोहल्ले का अपना ही समाज है अनेकता में एकता की है बुनियाद लोग कहने लगे कि यह राजकाज है तर्क के गलीचे पर शब्दो...
गुरुवार, 27 जून 2024

इतिहास

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  जो हमने पढ़ा है और सुना है उनमें तुम हो कहीं भी नहीं इतिहास भी तो छुपाता बहुत . भला बिन तुम्हारे इतिहास कहीं   तुम्हें ही तो पड़ता रहा हूँ ह...
बुधवार, 26 जून 2024

श्रमिक

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 राहें हैं पर उनपर विरले पथिक हैं तेज गति वाहनों की लगती होड़ है श्रमिक भी अब दिखते बहुत कम मशीनों से मेहनत होती जी तोड़ है खेत हो खलिहान हो ग...

भ्रम

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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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