निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 24 जून 2024

मन रे कुहूक

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 अच्छा, कहिए बात कहीं से सच्चा करिए साथ यहीं से व्योम भ्रमण नहीं भाता है नात गाछ हरबात जमीं से मन उभरा, रही संयत प्रतिक्रिया कहे अभिव्यक्ति ...
2 टिप्‍पणियां:

नैन

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शब्द और भाव

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  शब्द लगाते भावनाओं की प्रातः फेरियां स्तब्ध भाव उलझा ले रात्रि की टेरियां   प्रतिदिन देह बिछौना का हो मीठा संवाद कोई करवट रहे बदलत...
रविवार, 23 जून 2024

ठुड्डी पर चेहरा

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कहां से कहां ढूंढ लेती है आप हथेली पर ठुड्डी चेहरे का आब रचना मेरी पाती प्रशंसा आपकी दूं यहां धन्यवाद आपको जनाब   यूं लिखती भी हैं...

नौका बाती

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 अपनी अठखेलियों का समंदर बनाइए बिन पाल नौका का भ्रमण फिर कराइए यह आपकी है कुशलता और विशिष्टता किनारे खड़ा मन न और भरमाइए लहरों की चांदनी सा ह...

अतिरंगी

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 अतिरंगी अतिरागी मिली सजनिया अनुरागी अतिभागी खिली अंगनिया सूफी सोचें यह प्रभु का ही सम्मान है प्रेमी सोचें प्रियतमा सुघड़ अभिमान है जैसी रही ...

सत्य की चुन्नटें

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 सत्य की चुन्नटें असत्य खुले केश हैं नारियां ऐसी भी जिनके कई भेष हैं कौन जाने किस तरह खुली भावनाएं धुंध सी उभर रहीं कामनाएं अशेष हैं प्यार क...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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