निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 23 मई 2024

रिझाना है

›
 हर उम्र का एक दोस्ताना है उम्र दर उम्र वही आशिकाना है कुछ गंभीरता लिए समझदारी भी जिंदगी को भी तो रिझाना है तथ्य हैं, कथ्य हैं, सत्य-असत्य ह...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 21 मई 2024

दहक

›
 तुम्हें इस कदर हम देखा किए हैं कि निगाहों को कोई भी जंचता नहीं खूबी जो तुम में बुलाती हमें ही तुम्हारे नयन प्यार हंसता नहीं बहुत जानती हो त...
1 टिप्पणी:

पलकों की घूंघट

›
  पलकों की घूंघट में छिपता है प्यार प्यार में सिमटकर खिलता है संसार   एक हृदय धड़का हो आकर्षित तड़पा एक खिंचाव अनजान विकसित कड़का छ...
सोमवार, 20 मई 2024

साहित्य

›
 क्यों उठा लेते हैं विगत साहित्य क्या है यह रचनाकार आतिथ्य एक समय था पुस्तकें ही थीं और था प्राध्यापक व्यक्तित्व जो कहा साहित्य क्या सत्य वह...
रविवार, 19 मई 2024

चिंतन

›
  जो जितना पढ़ेगा वह उतना भिड़ेगा अंधकार दूर कर ज्योति वह तिरेगा   पुस्तक मात्र नहीं दृष्टि जो मढ़ेगा पुस्तक से बेहतर विचार व...
शनिवार, 18 मई 2024

काव्य रचा शब्द

›
  हर शब्द कहा शहद भरा छत्ता है स्वाद न मिले तो फर्क अलबत्ता है   शब्द के ऊपर रहें मोटी बतियां शब्द भीतर भावपूरित नदियां रचना भीत...
शुक्रवार, 17 मई 2024

आप

›
 किसी सड़क पर रोज आप निकलती होंगी किसी तरह ट्रैफिक लड़खड़ाती चलती होगी आपको मालूम नहीं आपकी हर अदाएं हवाएं छूकर हर शख्स दिल धड़कती होंगी आप मासू...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.