निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 3 मई 2024

शब्द आपके

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 शब्द आपके छू जाते हैं मन में होती सिहरन पंखुड़ी पर ओस बूंद कितनी कोमल ठहरन ऐसे उगता है दिन मेरा शब्द आपके संग बनठन एक चेतना होती प्रवाहित सं...
गुरुवार, 2 मई 2024

रक प्रासंगिक रचना

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 प्रातः पांच बजे आया एक फ्रेंड रिक्वेस्ट मन बोला स्वीकार करो हैं यह श्रेष्ठ बुद्धि बोली, मन तू इनको कैसे जाने मन बोला, बुद्धि, समूह के जाने-...
मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

2976 नारी देह

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 (बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों पर बिखरे पेन ड्राइव को लोगों ने उठाया और देखा तो जो पाया रचना में उल्लिखित है। सूचना आ...
सोमवार, 29 अप्रैल 2024

गर्मी

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 तन ऊष्मा, मन ऊष्मा कितनी सरगर्मी वातायन बंद हुए घुडक रही है गर्मी गर्म लगे परिवेश गर्म चली हैं हवाएं  पेड़ों की छाया में आश्रित सब अकुलाएं ह...
रविवार, 28 अप्रैल 2024

दालचीनी

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 अनुभूतियां अकुलाएं बुलाएं मधु भीनी तीखा, मीठा, गर्म सा मैं दालचीनी नवतरंग है नव उमंग है उम्र विहंग जितना जीवन समझें उतना रंगविरंग मुखरित हो...

तलाश

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 आप अब झूमकर आती नहीं हैं मौसम संग ढल गाती नही हैं योजनाएं घर की लिपट गईं है उन्मुक्त होकर बतियाती नहीं हैं यहां यह आशय प्रणय ही नहीं पर जगह...
शनिवार, 27 अप्रैल 2024

संसार

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 मन डैना उड़ा भर हुंकार बचा ही क्या पाया संसार तिल का ताड़ बनाते लोग जीवन तो बस ही उपभोग उपभोक्ता की ही झंकार बचा ही क्या पाया संसार कलरव में ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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