निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 24 अप्रैल 2024

सोहबत

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 शब्दों से यारी भावनाओं से मोहब्बत भला फिर क्यों दिल को कोई सोहबत खयालों में खिलते हैं नायाब कई पुष्प हकीकत में गुजरते हैं लम्हें कई शुष्क ल...
मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

प्रणय आगमन

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 प्रणय पल्लवन का करें आचमन सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन एक कविता उतरती है बनकर गीत अपने से ही अपने की होती है प्रीत मन नर्तन करे हो उन्मुक्त व...
सोमवार, 22 अप्रैल 2024

बहकते नहीं हैं

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 दिल, दाग, दरिया दुबकते नहीं हैं हृदय, हाय, हालत बहकते नहीं हैं प्रयासों से हरदम प्रगति नहीं होती पहर दो पहर में उन्नति कहीं होती ना जाने कब...
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रविवार, 21 अप्रैल 2024

गुईंया

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 कहां तक चलेगा संग यह किनारा कहां तक लहरों की हलचल रहेगी तुम्ही कह दो बहती हवाओं से भी कब तक छूती नमी यह रहेगी कहो बांध पाओगी बहती यह धारा त...
शनिवार, 20 अप्रैल 2024

मचान

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जैविक देह दलान है मनवा का ढलान है सरपट भागे आड़ाटेढ़ा दूर लगे मचान है   करधन टूटी बर्तन टूटा कौन मगन कौन रूठा लगता भेड़ियाधसान है ...
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

नरम हो गए

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 पचीसों भरम के करम हो गए याद आए तो हम नरम हो गए मन की आवारगी की कई कुर्सियां अनगढ़ भावों की बेलगाम मर्जियाँ  ना जाने किसके वो धरम हो गए याद आ...
बुधवार, 17 अप्रैल 2024

छू लें हौले से

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 आइए बैठकर चुनें रुई की सफेदी धवलता अब मिलती कहां है तमस में बत्तियों की टिमटिमाहट सरलता रब सी मिलती कहां है अपने घाव पर लें रख रुई फाहा टीस...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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