निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 1 मार्च 2023

होली

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 होली भींगी दरस तुम्हारी गुईंया अबकी होली रंगदारी में नस-नस भींगे अकुलाए कैसी लगन रसदारी में नैन चैन सब छीने तकते अंखियन की गुलकारी में जैसे...
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मंगलवार, 28 फ़रवरी 2023

विश्व पुस्तक मेला

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ना भीड़ ना ठेलमठेला जेब में न हो अधेला हिंदी का रंगीन है ठेला देखें विश्व पुस्तक मेला प्रकाशकों के सजे स्टॉल गीत एक अलग ताल खेल सांप और संपेल...
सोमवार, 13 फ़रवरी 2023

वेलेंटाइन डे

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  वेलेंटाइन महोत्सव पर दो कविताएं :- आह! प्रणय ओह! प्रणय भावनाओं की नर्मियाँ दो दिलों के दरमियाँ; मन के गुंथन चाहत हो सघन कैसी यह...
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बुधवार, 7 दिसंबर 2022

कविता

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 वह कभी नहीं चाहती कविता लिखूं और कर दूं पोस्ट उसे बल्कि उलाहने देते  सजा देती है मेरी कविता को किसी उपयुक्त चित्र या फोटो से और  उस रचना मे...
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सोमवार, 14 नवंबर 2022

रंगदानी गुजरिया

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 जतन कीन्हा अनजानी डगरिया वतन चिन्हा रंगदानी गुजरिया सीमा पर प्रहरी भीतर लहरी रिश्ता पकड़ हर डोर ठहरी अजब-गजब लागे नजरिया वतन चिन्हा रंगदानी ...

दुआ

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 एक मोटी परत धूल छंट रही बादलों सी मन लगा स्वतंत्र हुआ ना जाने लगी किसकी दुआ एक कोमल पाश रचनात्मक पल प्रति पल सृजनात्मक लेखनीय अर्चना को छुव...
रविवार, 13 नवंबर 2022

चलन

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 देह दलन कैसा चलन व्यक्ति श्रेष्ठ आवश्यकता ज्येष्ठ विवशता लगन कैसा चलन प्रदर्शन परिपुष्ट प्रज्ञा सुप्त वर्चस्वता सघन कैसा चलन शौर्य समाप्त च...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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