निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 5 अक्टूबर 2021

भींगे ही रहें

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 प्रियतम प्यारे आप ऐसे ही भींगे रहें भावनाओं के वलय बूंद बन तन-मन बहें, अर्चनाएं सघन मन प्रभु कृपा से कहें, मन एकात्म यूँ डिगे रहें आप ऐसे ह...
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सोमवार, 4 अक्टूबर 2021

तरंग

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 तुम तर्क की कसौटी पर हवा दिशा बहती अद्भुत तरंग हो, मैं भावनाओं की गहनता में स्पंदनों की तलहटी तलाशता प्रयासरत एक भंवर हूँ। धीरेन्द्र सिंह
बुधवार, 15 सितंबर 2021

ऊर्ध्व की ओर

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 आसमान में उड़ते हुए हवाई जहाज का गर्जन नीचे बादलों की सफेद चादर या कहीं अपनी मस्ती में  अलमस्त चाल लिए टुकड़ा बादल ले जाता है ऐसा दृश्य कहीं ...
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सोमवार, 13 सितंबर 2021

आठवीं अनुसूची

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 संविधान के आधार पर क्या कर सकी राजभाषा राष्ट्र हित उपकार ? कहिए श्रीमान मेरे आदरणीय  भारत देश के नागरिक, सार्थकता प्रश्न में है, अर्थ उपयोग...
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बुधवार, 11 अगस्त 2021

वह

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 घर लिपटा हुआ रेंगते रहता है हर पल कुछ मांग लिए कुछ उलाहने लिए और वह इन सबसे बतियाते एक-एक कर निपटाती जाती है आवश्यक-अनावश्यक मांगें, करती ह...
शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

बादलों के अश्रु

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 बादलों के अश्रु से भींगी जो बालकनी वह फूलों को देख कर मुस्कराते रहे मिलन की वेदना गरजी बिजलियाँ झलक को लपकीं देह की सिहरनों में वह कसमसाते ...

साहित्यिक देवदासियां

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 आजकल  महफिलें नहीं जमती गजरे की खुश्बू भरी गलियां पान के सुगंधित मसालों की सजी, गुनगुनाती दुकानें और सजे-संवरे इश्क़ के शिकारियों की इत्र भर...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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