आसमान में उड़ते हुए
हवाई जहाज का गर्जन
नीचे बादलों की सफेद चादर
या कहीं
अपनी मस्ती में
अलमस्त चाल लिए टुकड़ा बादल
ले जाता है ऐसा दृश्य
कहीं दूर
ऊपर दिखते गहरे नीले
आसमान की ओर,
धरती से कहां दिख पाए सहज
इतना गहरा नीला आसमान,
हवाई जहाज का डैना
करता वायु संतुलन
न जाने कितनी गति से
बढ़ रहा गंतव्य ओर,
वायुयान में बैठ
होता है प्रतीत
कि आसमान में
ठहरा हुआ है जहाज
तो कभी मंथर गति से
बढ़ता अनुभव हो
यद्यपि
वायुयान का इंजन
करते रहता गर्जन
अनवरत,
शायद गति से अधिक
बोल जाती है ध्वनि
ऊंचाई छूने पर,
कहीं-कहीं यह भी लगता है
कि
धरा और व्योम को
ढंक लिया है बादलों ने
सूर्य का तेज
हो गया है काफी मद्धम
जिससे व्योम से दिखे
चहुंओर चमकती सफेदी,
मानव तन और वायुयान
ध्वनि, गति,लक्ष्य लिए
गतिमान
ऊर्ध्व उड़ान ही दे
प्रकृति की नई पहचान,
मानव तन के लिए
धरती भी वैसी ही
जैसे वायुयान के लिए
धरती हैंगर स्थल या
संबंधित यात्रियों को समेट
उड़ान भरने की जगह,
बेवजह धरती पर
कोई नहीं उतरता
चाहे वायुवान हो या तन
और संभव नहीं
हर गतिशील का उड़ पाना
चाहे वाहन हो या मनुष्य
तो
उड़ान भी एक विशिष्टता है
एक कुशल संयोजन है
चाहे कल-पुर्जे हों
या
मन के आसमान के रंग,
उड़ा जा रहा हूँ
अपनी लक्ष्य की ओर
जग समझे
ठहरा हूँ
या मंथर गति हूँ।
11.49
इंडिगो फ्लाइट
आसमान में रचित
15.09.2021
वाह! हवाई जहाज़ में उड़ते हुए मन के आकाश में भी कितनी ऊँची उड़ान भर ली है आपने, वाक़ई यह हरेक के बस की बात नहीं, कुछ तो आँख बंद किए सो जाते हैं, निस्सीम गगन भी उन्हें दिखायी नहीं देता
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनिता जी। ऐसी टिप्पणियां लेखन की मूलभूत प्रेरणा स्त्रोत होती हैं।
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