निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 13 सितंबर 2021

आठवीं अनुसूची

›
 संविधान के आधार पर क्या कर सकी राजभाषा राष्ट्र हित उपकार ? कहिए श्रीमान मेरे आदरणीय  भारत देश के नागरिक, सार्थकता प्रश्न में है, अर्थ उपयोग...
4 टिप्‍पणियां:
बुधवार, 11 अगस्त 2021

वह

›
 घर लिपटा हुआ रेंगते रहता है हर पल कुछ मांग लिए कुछ उलाहने लिए और वह इन सबसे बतियाते एक-एक कर निपटाती जाती है आवश्यक-अनावश्यक मांगें, करती ह...
शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

बादलों के अश्रु

›
 बादलों के अश्रु से भींगी जो बालकनी वह फूलों को देख कर मुस्कराते रहे मिलन की वेदना गरजी बिजलियाँ झलक को लपकीं देह की सिहरनों में वह कसमसाते ...

साहित्यिक देवदासियां

›
 आजकल  महफिलें नहीं जमती गजरे की खुश्बू भरी गलियां पान के सुगंधित मसालों की सजी, गुनगुनाती दुकानें और सजे-संवरे इश्क़ के शिकारियों की इत्र भर...
बुधवार, 21 जुलाई 2021

सर्वस्व

›
 तन्मय तृषित तत्व अभिलाषी रोम-रोम पैठ करे तलाशी सर्वस्व का सब जान लेना सतत, निरंतर मन है प्रयासी आंगन में अंकों की तालिका घर में कर्मठता के ...
मंगलवार, 6 जुलाई 2021

रहे छुपाए

›
 बंद करते जा रहे हैं हर द्वार, रोशनदान प्रत्यंचाएं खींची हुई शर्मिंदा हृदय वितान रहे छुपाए बच न पाए कोई कैसे पाया संज्ञान बंद घरों में पसरे ...

आत्मिक द्वंद्व

›
 कंकड़ लगातार जल वलय  डुबक ध्वनि खुद से युद्ध मन चितेरा। धीरेन्द्र सिंह
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.