कौओं, कबूतरों, गिद्धों के
चखे फल को
अर्चना में सम्मिलित करना
एक आक्रमण का
होता है समर्थन,
श्रद्धा चाहती है
पूर्णता संग निर्मलता,
चोंच धंसे फल
सिर्फ जूठे ही नहीं होते
बल्कि
किए होते हैं संग्रहित
चोंच के प्रहारों की अनुभूति
समेटे मन के डैने में,
आस्थाएं
नहीं टिकती
जूठन व्यवहार पर
क्या करे पुजारी
मंदिर के द्वार पर।
धीरेन्द्र सिंह
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