भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
▼
शनिवार, 25 अक्टूबर 2025
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025
गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025
बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025