निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 22 जुलाई 2025

आत्मपैठ

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मुझे मजबूर करती है मोहब्बत तुम्हारी कहो क्या सच में होगी सोहबत हमारी प्रणय के पल्लवन पर है तुम्हारी चंचलता हृदय तुमको सराहा है लिए व्याकुलता...
शनिवार, 19 जुलाई 2025

रिश्ते

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चेहरे प्रसन्न दिखें अंतर्मन रहे सिसकते तार-तार हो गए पर हैं तार से अब रिश्ते मोबाइल से बात है कम खुशी या गम उड़ रहा है उड़ता जा देखते हैं अब द...
शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

दीजिए

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 उचित अब यही रुचि ज्ञान दीजिए मानवता न बिखरे निजी ज्ञान दीजिए उचित अब यही है रुचि ज्ञान दीजिए मानवता न बिखरे निजी ज्ञान दीजिए प्रत्येक में क...
बुधवार, 16 जुलाई 2025

सत्य

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 सत्य को पसंद कर्म की अर्चना है स्वयं की अभिव्यक्ति ही सर्जना है आत्मद्वंद्व प्रत्येक प्राणी स्वभाव भी सहजता क्रिया में आत्म विवेचना है अभिव...

तीन चरवाहे

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 चेतना के चाहत के तीन चरवाहे तीनों में होड़ लगी कौन आगे भागे मनसा, वाचा, कर्मणा ही तीन प्रमुख धरती, आकाश, पाताल जीव सम्मुख इन तीनों में संतुल...
मंगलवार, 15 जुलाई 2025

किसलिए

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 हो आधा-आधा किसलिए जरूरत से ज्यादा किसलिए आपकी जागीर कब तलक यह शान लबादा किसलिए हर हलक में अनबुझी प्यास सांस का इरादा किसलिए जब तलक चल रहे ह...
3 टिप्‍पणियां:
रविवार, 13 जुलाई 2025

अज्ञानी

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 क्या सत्य लूट लेगा क्या धर्म की गहनता यह मन बड़ा है छलिया मानव की सघनता कर्म प्रचुर दूषित विचारों में भी नहीं दृढ़ता व्यक्तित्व उलझा सा रह-रह...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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