निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 7 जून 2025

चर्चा

›
 साहित्य का विकास एवं उन्नयन सक्रिय पठन हो दीप्ति भरे गगन पढ़ लिया फिर लाईक या टिप्पणी ऐसे विभिन्न रचनाओं पर दो घड़ी प्रश्न पूछिए जहां संशय भर...
शुक्रवार, 6 जून 2025

लाईक कमेंट्स

›
 लेखन कितना क्षुब्ध हो गया चाहे हरदम खुश इठलाने को लाईक, टिप्पणियों के अधीन सर्जना लगे सुप्त बिछ जाने को रचनाकार सशक्त सजीव संजीव रचना मन अं...
गुरुवार, 5 जून 2025

उम्र

›
 प्यार यदि देह है फिर क्या नेह है कुछ भी संभव कहीं भेद लिए देह है एक उम्र आते ही कहते बस हुआ ईश्वर की भक्ति करो उम्र को छुआ देह तो तब भी प्य...
बुधवार, 4 जून 2025

क्रिकेट हादसा

›
 गेंद लेकर दौड़ता एक गेंदबाज बल्ला चाहे गेंद को दे गति साज गेंदबाज, बल्लेबाज और क्षेत्ररक्षक एक विजयी दूजी टीम बनी समीक्षक बंगलुरू स्टेडियम म...
सोमवार, 2 जून 2025

अर्थपूर्ण

›
 एक बात कहूँ आप यूं ना सोचिए हर बात अर्थपूर्ण कहां होती है एक समीक्षक की तरह ना देखिए हर नात गर्भपूर्ण कहां ज्योति है समझौता ही एकमात्र है व...
रविवार, 1 जून 2025

चश्मा

›
 तुम भी मुझे उतार दी चश्मा की तरह लेन्स कमजोर लग रहा था हर शहर कहा कि साफ कर लो धूल है बहुत नई चाह में बीमार सा घूमे दर बदर मारा कुछ छींटे ध...

यह लोग

›
 यह लोग जो संस्कार की बात करते हैं जाने शोर किस अधिकार की करते हैं प्यार यदि छलक सतह पर है निखरता यही लोग प्यार का धिक्कार करते हैं यह कभी ल...
1 टिप्पणी:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.