निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 4 जून 2025

क्रिकेट हादसा

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 गेंद लेकर दौड़ता एक गेंदबाज बल्ला चाहे गेंद को दे गति साज गेंदबाज, बल्लेबाज और क्षेत्ररक्षक एक विजयी दूजी टीम बनी समीक्षक बंगलुरू स्टेडियम म...
सोमवार, 2 जून 2025

अर्थपूर्ण

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 एक बात कहूँ आप यूं ना सोचिए हर बात अर्थपूर्ण कहां होती है एक समीक्षक की तरह ना देखिए हर नात गर्भपूर्ण कहां ज्योति है समझौता ही एकमात्र है व...
रविवार, 1 जून 2025

चश्मा

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 तुम भी मुझे उतार दी चश्मा की तरह लेन्स कमजोर लग रहा था हर शहर कहा कि साफ कर लो धूल है बहुत नई चाह में बीमार सा घूमे दर बदर मारा कुछ छींटे ध...

यह लोग

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 यह लोग जो संस्कार की बात करते हैं जाने शोर किस अधिकार की करते हैं प्यार यदि छलक सतह पर है निखरता यही लोग प्यार का धिक्कार करते हैं यह कभी ल...
1 टिप्पणी:
शनिवार, 31 मई 2025

साहस

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 मैं भी चला था दौर में देखा न गौर से एक दिन भी चाह न छोड़ा मिली और से अब भी उन्हीं जैसा दिखे तो धड़के दिल संकोच गति को बांधे मन चीखे आ मिल मैं...
शुक्रवार, 30 मई 2025

बहाना

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 सीखा बहुत न सीख पाया वैसे निभाना ना जब कहना हो तो बनाएं कैसे बहाना आप अभिनेत्री हैं या जीवन की हैं नेत्री  एक दुनिया आपकी जिसकी आप हैं क्षे...
बुधवार, 28 मई 2025

मौलिकता

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 कविताओं में शब्द, अभिव्यक्ति का जितना हो प्रयोग उतना ही सुंदर बनते जाता है साहित्य का सुयोग, समय संग व्यक्ति का अभिन्न नाता दायित्व अंग समय...
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मेरे बारे में

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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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