निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 31 मई 2025

साहस

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 मैं भी चला था दौर में देखा न गौर से एक दिन भी चाह न छोड़ा मिली और से अब भी उन्हीं जैसा दिखे तो धड़के दिल संकोच गति को बांधे मन चीखे आ मिल मैं...
शुक्रवार, 30 मई 2025

बहाना

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 सीखा बहुत न सीख पाया वैसे निभाना ना जब कहना हो तो बनाएं कैसे बहाना आप अभिनेत्री हैं या जीवन की हैं नेत्री  एक दुनिया आपकी जिसकी आप हैं क्षे...
बुधवार, 28 मई 2025

मौलिकता

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 कविताओं में शब्द, अभिव्यक्ति का जितना हो प्रयोग उतना ही सुंदर बनते जाता है साहित्य का सुयोग, समय संग व्यक्ति का अभिन्न नाता दायित्व अंग समय...

ताल

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 आप ऐसे चमकें जैसे अँजोरिया संवरिया का ताल, कहे गोरिया मन महकाय के सपन दे बैठी रात बहकाय के अगन दे ऐंठी अंखिया जागत, होती जाय भोरिया संवरिया...
सोमवार, 26 मई 2025

आप

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 आज बहुत दिन बाद नींद खुलते ही प्रतीत हुआ कि प्रणय की बदलियां मन में उमड़-घुमड़ संवेदनाओं को जगा रही हैं, जग तो जाता हूँ याद आती हैं जब आप ऐसे...
शुक्रवार, 23 मई 2025

चलो

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 शक्ति से शौर्य से लुभाते चलो लोग चलें न चलें भुनाते चलो प्यार, श्रृंगार, अभिसार से पार कामनाएं मृदुल भाव की न धार अपनी चाल हो अन्य में ना ढ...
गुरुवार, 22 मई 2025

आप और बारिश

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 बरसात आती है जैसे आती हैं आप घटाएं आती हैं जैसे आपकी यादें, वह तपिश क्षीण हो जाती जैसे बादलों से ढंका सूर्य और परिवेश पुलकित हो बारिश की बू...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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