आप ऐसे चमकें जैसे अँजोरिया
संवरिया का ताल, कहे गोरिया
मन महकाय के सपन दे बैठी
रात बहकाय के अगन दे ऐंठी
अंखिया जागत, होती जाय भोरिया
संवरिया का ताल, कहे गोरिया
मगन लगे कब खबर नहीं
अगन कहे अब सबर नहीं
तपन सघन लगे चहुँ ओरिया
संवरिया का ताल, कहे गोरिया
इतनी चमक नहीं समझ पाएं
कौन लपक चमक जी हर्षाए
समझ सके ना कोई मजबूरियां
संवरिया का ताल, कहे गोरिया।
धीरेन्द्र सिंह
28.05.2025
17.53
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