निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 10 मई 2025

आप

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 आप छूती हैं गुदगुदाती हैं एक हवा सी गुजर जाती है लाख कोशिशें समझ न पाईं आप क्या-क्या बुदबुदाती हैं एक झोंका सुगंधित छू भागा ऐसी शरारत कुहुक...
शुक्रवार, 9 मई 2025

संपर्क

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 जो भी आता मुझसे मिलता औपचारिकता संग छुपे दिल का इसमें उनकी क्या कोई गलती सांसारिकता अब चुके दिन सा जीवन में है मिला जो धोखा लोग हैं सोचते स...
गुरुवार, 8 मई 2025

माटी

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 युद्ध है शस्त्र धरो योद्धा देश हमारा माटी है श्रद्धा बम गूंज भरे टेलीविजन ब्लैक आउट उनका जीवन जज़्बा उनका ढूंढ रहा कंधा देश हमारा माटी है श्...
बुधवार, 7 मई 2025

योद्धा

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 संघर्ष ही है जीवन कहे मानव इतिहास धरा कहे व्योम से कर इसपर विश्वास हर सांस जीवन युद्ध है और बुद्ध हैं संघर्ष से जो गुजरे वही जीव शुद्ध हैं ...
मंगलवार, 6 मई 2025

पानी न दी

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 (नई दिल्ली, एनसीआर में घटित एक सत्य घटना पर आधारित रचना जहां कुछ पुरुषों ने मिलकर एक उभरती सशक्त रचनाकार को ऐसा भरमाया की उसने लेखन बंद कर ...
सोमवार, 5 मई 2025

भाव जगाने

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 कुचले गए हैं भाव निभाने को तराने कुचलन करे उछलन वही भाव जगाने स्तब्ध जब किया जप्त हुई भावनाएं सुलगती राख हो गयी कई कामनाएं ढांढस बंधाए लेकर...
रविवार, 4 मई 2025

गमन

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 साँसों पर होती उन कदमों की थिरकन फूलों का खिलना उन नगमों की सिहरन महकती फिजां में यह सोच हो खड़ी कहे पुष्प है या कि है उनकी यह नई महकन उन्हे...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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