निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

मैसेज

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 "किसने मना किया है" वह बोल उठी  और उठा एक वलय तत्क्षण मेरे मन मे कि हां गलत मैं ही हूँ, बड़ा आसान होता है कर देना टाइप शुभ प्रभात ...
सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

शब्द

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 शब्द को निहार कर भाव को निथार कर आप लिखे, पढ़ा किए और मन मढ़ा किए सृष्टि के विधान में दृष्टि के सम्मान में जो जिए पकड़ लिए जीभर कर फहर लिए लिख...
शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

बसंत पंचमी

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 बसंत पंचमी दे बौद्धिक नमी उत्सर्जित कल्पनाएं सुसज्जित हों आदमी सरस्वती अर्चना आशीष की ना कमी आसक्ति जितनी अधिक ज्ञानवान उतनी ज़मी हर घर निना...
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शुक्रवार, 31 जनवरी 2025

घूर

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 घूरे पर बैठा व्यक्ति सोचता कितनी ऊंचाई है क्या किसी ने जिंदगी यह पाई है, घूरा यहां गौण है व्यक्ति ऊपर बैठा सिरमौर है, प्रमुखतया  गोबर से नि...
बुधवार, 29 जनवरी 2025

अग्नि

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 रात यादों में सो ही जाती है जिंदगी अक्सर खो जाती है अलाव दिल के रहते जलते ठिठुरन फिर भी सताती है कर्म की अंगीठी पर कामनाएं  धर्म की अनबुझी ...
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मैंग्रोव

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 पथरीली राह और राह के दोनों ओर मीलों दूर तक फैला मैंग्रोव, अपनी जड़ों की बनाए पकड़ सागर की लहरें समझें धाकड़, रोज गुजरते हैं कदम राह के पत्थरों...
सोमवार, 27 जनवरी 2025

साइबेरियन पक्षी

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 समूह एक प्राकृतिक व्यूह सृष्टि में दिखता है चहुंओर इसीलिए जीवन है एक शोर, शांति या सन्नाटा जीवन का है ज्वार-भाटा सागर जल की तरह रहता है आता...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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