निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 24 जनवरी 2025

आंधी

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 चीख निकलती है हलक तक आ रुक जाती है यह मात्र वेदना है या एक विद्रोह की आंधी है गरीबी, लाचारी में चीख अब बन चुकी है आदत मजबूरियां चीखती रहती ...
गुरुवार, 23 जनवरी 2025

मनसंगी

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 भावनाएं मेरी नव पताका लहराती बहुरंगी है प्यार हमारी दुनियादारी कहलाती अतिरंगी है नयन-नयन बात नहीं शब्द-शब्द संवाद गहे बौद्धिकता से विलग रहे...
बुधवार, 22 जनवरी 2025

तीन चर्चित

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 आस्था जहां हो समूह वहां सर्जना है तीन चर्चित हुए प्रश्नांकित अर्चना है त्रिवेणी के जलधार कुम्भ के बन तोरण अखाड़े मिल आस्थाओं का करें आरोहण त...
मंगलवार, 21 जनवरी 2025

महाकुम्भ

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 अदहन सी भक्ति आसक्ति सुलगन बन जाए दावानल उन्माद युक्ति मुक्ति ओर धुन लाए ठिठुरन में दर्पण संस्कृति का जोर प्रत्यावर्तन महाकुम्भ शंभु सा बहु...
सोमवार, 20 जनवरी 2025

संस्कार

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 संस्कारों की परत दर परत ढाल लेती है व्यक्तित्व को और उंसमें लिपटते, बिहँसते  जीवन में रचते, सजते ठौर करता है गुणगान होता है निर्मित आदर्श ब...
शनिवार, 18 जनवरी 2025

मोनालिसा

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 कर्म के मर्म का शायद यही फैसला है धर्म महाकुम्भ में मेरा भी जलजला है खानाबदोश हूँ मोनालिसा मेरा नाम है त्रिवेणी की कृपा नयन मेरे मेहमान हैं...

तुम ही

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 मुझे तुम भुला दो या मुझको बुला लो यह झूले सा जीवन अब भाता नहीं है यह पढ़कर मुस्कराकर यही फिर कहोगी हृदय वैसे पढ़ना मुझको आता नहीं है गज़ब की ह...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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