निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

प्रौसाहित्य

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 प्रौसाहित्य और प्रौसाहित्यकार जो भी देखा लिख दिया यह हौसला है रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है रुचिकर अरुचिकर साहित्य नहीं होता उगता अवश्य है...

दरकार

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 सर्दियों में गर्म साँसों की ही फुहार है अश्रु बर्फीले टपकते किसको दरकार है कब छला, कौन छला, कब रुका तो चला अंकुरण की खबर नहीं संग हवा बह चल...
शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

पोस्ट

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अति व्यस्तता में जो रचना न गयी लिखी बोल उठीं ”आज आपकी पोस्ट नहीं दिखी” लेखन हो निरंतर तो नित्य के होते पाठक सब होते रचनाकार लेखन के नए साधक ...
मंगलवार, 17 दिसंबर 2024

चाह

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 दियासलाई एक दिए को ज्योतिर्मय करने को आमादा है, तीलियाँ कसमाती कब जल जाना है, एक-दूसरे से जुड़ा कैसा तानाबाना है, मन एक तीली हृदय दियासलाई त...
सोमवार, 16 दिसंबर 2024

नारी

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 पग बढ़ा अंगूठे से खींचती हैं क्यारी लक्ष्मण रेखा के बिना बढ़ती ना नारी चाह है, राह है, उमंगों की घनी छांह उठती, उड़ती रुक जाती है सिकोड़ बांह ह...
रविवार, 15 दिसंबर 2024

जाकिर

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 शब्द थाप से मिल गए भावों को सहला जाकिर हुसैन आवाज का मिजाज तबला श्रेष्ठतम संगीतज्ञ संग की हैं जुगलबंदी तबला है इश्क़ कैसा की है नुमाइंदगी ति...
शनिवार, 14 दिसंबर 2024

मर-मर जीने में

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 कोई जब याद करता है बरसते भाव सीने में वही वादी लगे खाईं है लरजते मर-मर जीने में हर घड़ी प्यार की पुचकार भरी जग आशाएं क्या पड़ी किसपर कोई भला ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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