प्रौसाहित्य और प्रौसाहित्यकार
जो भी देखा लिख दिया यह हौसला है
रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है
रुचिकर अरुचिकर साहित्य नहीं होता
उगता अवश्य है मन से सर्जन बोता
शब्द मदारी कलम दुधारी जलजला है
रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है
साधना को मांजना ही प्रौसाहित्य है
प्रौद्योगिकी नहीं तो लेखन आतिथ्य है
प्रौसाहित्य पसर रहा बसर ख़िलाखिला है
रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है
प्रौसाहित्य में लेखन नित धुआंधार है
प्रतिक्षण मिलता सूचनाओं का अंबार है
प्रौसहित्यकार का कारवां हिलामिला है
रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है।
धीरेन्द्र सिंह
22.12.2024
10.59
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