शनिवार, 21 दिसंबर 2024

प्रौसाहित्य

 प्रौसाहित्य और प्रौसाहित्यकार


जो भी देखा लिख दिया यह हौसला है

रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है


रुचिकर अरुचिकर साहित्य नहीं होता

उगता अवश्य है मन से सर्जन बोता

शब्द मदारी कलम दुधारी जलजला है

रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है


साधना को मांजना ही प्रौसाहित्य है

प्रौद्योगिकी नहीं तो लेखन आतिथ्य है

प्रौसाहित्य पसर रहा बसर ख़िलाखिला है

रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है


प्रौसाहित्य में लेखन नित धुआंधार है

प्रतिक्षण मिलता सूचनाओं का अंबार है

प्रौसहित्यकार का कारवां हिलामिला है

रचनाकार वही जिसका ऐसा फैसला है।


धीरेन्द्र सिंह

22.12.2024

10.59




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