निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 26 नवंबर 2024

बोरसी

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 कुछ अलग - भाषा, संस्कृति, अभिव्यक्ति :- काठ छुईं जांत छुई जड़वत कड़ाका बोरसी से ठेहुन लगल मिलल पड़ाका रजाई से देह निकलल भयल तमाशा अंगुरी-कान च...
सोमवार, 25 नवंबर 2024

ओस

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 ओस ठहरी हुई है  पंखुड़ी पर यह उसका है भाग्य, वह दूब, धरा समाई अनजाने में जीवन भी है कितना साध्य, पंखुड़ी, दूब, धरा आदि कोमल शीतलता पगुराए पवन...
रविवार, 24 नवंबर 2024

आत्मा की भूख

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 आत्मा की भूख जब भी हुंकार भरे क्यों न जीवन फिर किसी से प्यार करे प्यार परिणय में मिले क्या है जरूरी सामाजिकता संस्कृति की होती धूरी वलय की ...
शनिवार, 23 नवंबर 2024

जरूरी होना

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 अचरज, सारथ, समदल संजोना जरूरी होता है जरूरी होना अब जग है सूचना संचारित इंटरनेट पर है सकल आधारित होता पल्लवित बस है बोना जरूरी होता है जरूर...
शुक्रवार, 22 नवंबर 2024

साहित्य

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 साहित्य जब से स्टेडियम का प्यास हो गया धनाढ्य वर्ग का साहित्य तब घास हो गया विश्वविद्यालय सभागार में खिलती संगोष्ठियां महाविद्यालय कर स्वीक...
गुरुवार, 21 नवंबर 2024

रचना

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 अति संवेदनशील पुरुष जब कला के किसी विधा की करता है रचना  तब प्रमुख होती है नारी उसके मन-मस्तिष्क में बनकर सर्जना की ऊर्जा, संवेदनाओं की तलह...
बुधवार, 20 नवंबर 2024

अच्छा दिखना

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 कैसी हो मन ने कहा तो पूछ लिया, तुरंत उनका उत्तर आया ठीक हूँ, आप कैसे हैं, बहुत अच्छा लगा  आपका मैसेज पढ़कर, अभी अमेरिका में हूँ वह बोलीं; मे...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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