निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

हाँथ पकड़ लें

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 बर्तन जितनी भूख हो गई अदहन नहीं सुनाने को भरसांय सा जग लगे क्या-क्या चला भुनाने को पेट अगन अब जग गगन कौन आता समझाने को जग दहन में कहां सहन ...
मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

एकताल

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 जब दिए में रहे छलकता घी-तेल रंग लाती ज्योति-बाती-दिया मेल इधर-उधर न जलाएं भूल पंक्तियां किधर-किधर देखिए हैं रिक्तियां अनुरागी उत्तम विभेद क...
सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

अनुष्ठान हो गया

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 मैं खुद में खुद का अनुष्ठान हो गया मंदिर की गली का मिष्ठान हो गया उपहार में प्राप्त कई आत्मीय आभास परिवेश मेरा भर दिए मिठास ही मिठास मधुरता...
शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

अस्तित्व

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 तुम मुझे टूटकर जिस दिन गुनगुनाओगी अपने दामन में मेरे अस्तित्व को पाओगी पहल कर नारी को इंगित करना न आदत तुम मेरी होगी जैसे हो सूफियाना इबादत...

धूल जमी

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 दीपावली से पहले घर की स्वच्छता चाहिए लगनभरी लक्ष्यकारी उन्मत्तता दीवारों पर धूल जमी उसकी हो सफाई पानी-सर्फ घोल संग स्पंज की दौड़ाई वैक्यूम क...
बुधवार, 23 अक्टूबर 2024

देह परे

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 खोज में भी मौज है बहुत संभावनाओं से हरा-भरा प्यार वह ना कर सका हादसों से जो भी है डरा कामनाएं करें निरंतर याचनाएं मन खिला-खिला रहा मुस्करा ...

आंच

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 प्रीत तुम्हें प्रतीति बना न सकी रीत तुम्हें अतिथि बना न सकी एक हवा का झोंका था गुजर गया नीति तुम्हें नियति बना न सकी तुम लपट लौ सा आकर्षण ल...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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