निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 23 अक्टूबर 2024

देह परे

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 खोज में भी मौज है बहुत संभावनाओं से हरा-भरा प्यार वह ना कर सका हादसों से जो भी है डरा कामनाएं करें निरंतर याचनाएं मन खिला-खिला रहा मुस्करा ...

आंच

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 प्रीत तुम्हें प्रतीति बना न सकी रीत तुम्हें अतिथि बना न सकी एक हवा का झोंका था गुजर गया नीति तुम्हें नियति बना न सकी तुम लपट लौ सा आकर्षण ल...

मीठा दर्द

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 मीठा-मीठा दर्द मिला है सयाने में तुम बिन और रखा क्या जमाने में बंधन में बंधे हुए जैसे हल में नधे हुए चुपके-चुपके हैं दौड़ लगाते वीराने में औ...
मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

इलेक्ट्रॉनिक प्यार

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 इलेक्ट्रॉनिक बयार है मोबाइल की छांव गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव चिकनी स्क्रीन पर दौड़ रही हैं अंगुलियां अक्षर-अक्षर टाइप कर बोल रहे ब...
रविवार, 20 अक्टूबर 2024

उम्र

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 जीवन सत्य है, उम्र एक पड़ाव अनुभूतियों में रिश्ते अनेक छांव बढ़ती हुई उम्र की अपनी रीतियाँ अपने लागों बीच हैं अनेक ठाँव व्यक्ति क्या चाहता सृ...
शनिवार, 19 अक्टूबर 2024

बदरी

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 पर्वतों की तलहटी श्वेत नदी अनुभूति सूर्योदय संग उठती बदरी सी दे प्रतीति धीरे-धीरे उठते बादल जैसे पहाड़ी गीत गहन सघन गगन  पर्वत आगे श्वेत भित...
शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024

पहाड़ियों के ऊपर

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 जीवन के झूमर, पहाड़ियों के ऊपर छोटे-छोटे मकान, आसमां को छूकर समतल न राहें, समतल नहीं जीवन श्रम साधना पुकारे, दृगतल हरियाली छूकर गहन शांति चह...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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