मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

इलेक्ट्रॉनिक प्यार

 इलेक्ट्रॉनिक बयार है मोबाइल की छांव

गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव


चिकनी स्क्रीन पर दौड़ रही हैं अंगुलियां

अक्षर-अक्षर टाइप कर बोल रहे बोलियां

कहना औपचारिकता मांगे बस एक ठाँव

गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव


फ़िल्टर से चेहरे में भरकर गजब निखार

हर दिन चाहें हो जाए इलेक्ट्रॉनिक त्यौहार

वीडियो चैट करते चले भाव लहर नाव

गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव


धीर बनकर परिचय फिर बन जाते अधीर

इलेक्ट्रॉनिक प्यार में कहां मर्यादा लकीर

ब्लॉक अनब्लॉक खेल में करते आँय-बाँय

गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव।


धीरेन्द्र सिंह

22.10.2024

16.32




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें