निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 7 अक्टूबर 2024

टप्प

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 शांत सरोवर सा मन अति मंद उठती यादों की लहरें, भावनाएं  घने जंगल की महुवा सा पसरे, गुनगुनाता, बुदबुदाता मन भीतर ही भीतर फहरे; सरोवर के किनार...
रविवार, 6 अक्टूबर 2024

कौन जाने

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 हृदय डूबकर नित सांझ-सकारे हृदय की कलुषता हृदय से बुहारे बूंदें मनन की मन सीपी लुकाए हृदय मोती बनकर हृदय को पुकारे इतनी होगी करीबी कुशलता लि...
शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

संजाल

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 इंटरनेट के जंगल में उलझा व्यक्ति स्वयं को पाता व्यस्त होकर मस्त, कामनाएं  फुदकती गौरैया सी भटक चलती है तो कभी ढलती है मन को रखते व्यस्त, गु...
मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024

शब्द धमाका

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जितना छपता है क्या उतना पढ़ा जाता है ? लेखन और पाठक हैं इतना-उतना, जोड़ पाता है ? अब लोग पढ़ते नहीं देखते हैं घटित सभी घटनाएं,  शब्द झूठ बोलते ...
सोमवार, 30 सितंबर 2024

शब्द

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 शब्दों में भावनाओं की है अदाकारी पढ़ा जाए शब्दों में वह बतियां सारी किस तरह के अक्षरों से शब्द बनाए किस तरह के शब्दों से हैं भाव रचाएं सत्य ...
रविवार, 29 सितंबर 2024

ऐ सखी

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 ऐ सखी ओ सखा प्रीत काहे मन बसा आप तो लिखते नहीं क्या मैं हूँ फंसा इतना हूँ जानता जो जिया मन लिखा बेमन है जो लिखे खुद कहां पाते जीया जीतना कह...
शुक्रवार, 27 सितंबर 2024

त्रिनेत्र

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 या तो आंख मूंद लें या देखें अपना क्षेत्र पढ़ लिए समझ लिए अब खोलना त्रिनेत्र छः सात वर्ष की बच्चियां यौन देह क्रूरता बालिका क्या समझे कैसे कौ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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