निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 14 सितंबर 2024

अंगीठी

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  कलरव कुल्हड़ मन भर - भर छलकाए चाहत की अंगीठी लौ संग इतराए चित्त की चंचलता में अदाओं का तोरण कामनाएं कसमसाएं प्रथाओं का पोषण मन द्वा...
शुक्रवार, 13 सितंबर 2024

14 सितंबर

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 राष्ट्रभाषा बन न सकी है यह राजभाषा 14 सितंबर कहता क्यों सुप्त जिज्ञासा देवनागरी लिखने की आदत न रही अब भारत में नहीं हिंदी बनी विश्वभाषा कब ...

पुकारते रहे

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 निगाहों से छूकर बहुत कह गए वह पुकारते रहे कर गए शब्दों में तह एक गुहार गुनगुनाती याचना जो की सहमति मिली प्रसन्न धारा चल बही टीसती अभिव्यक्त...
गुरुवार, 12 सितंबर 2024

कविता

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 हर दिन नहीं हो पाता लिखना कविता, चाहती है प्यार एक उन्मादी आलोडन कभी आक्रामकता तो कभी सिहरन, जलाती है फिर संवेदनाओं की बाती और उठते भावनाओं...

मजबूरियां

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 बिगड़ जाए बातें, यह कड़वी मुलाकातें फिर कैसे कहे जिया, यह प्यार है तर्क पर प्यार को बांधने की कोशिश क्या यही प्रणय का उत्सवी त्यौहार है एक बं...
मंगलवार, 10 सितंबर 2024

कहो तुम

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  कहो सच कहोगी या कविता बसोगी कोई दिन न ऐसा जो तुमतक न धाए नयन की कहूँ या हृदय हद में रहूं हो मेरी या समझूँ हो गए अब पराए   कई भाव...
सोमवार, 9 सितंबर 2024

हर पल

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  ना कभी वक़्त - बेवक्त समय को ललकारा अवधि की कौन सोचे लगे हर पल प्यारा   कभी कुछ खनक उठती है जानी - पहचानी ललक धक लपक उठती जाग जिंदग...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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