निगाहों से छूकर बहुत कह गए वह
पुकारते रहे कर गए शब्दों में तह
एक गुहार गुनगुनाती याचना जो की
सहमति मिली प्रसन्न धारा चल बही
टीसती अभिव्यक्तियां शेष जाती रह
पुकारते रहे कर गए शब्दों में तह
कुछ चुनिंदा वाक्य, लिए वही बहाने
असमर्थ कितने हैं, लग जाते बताने
चुप हो जाने को सोचते, गया ढह
पुकारते रहे कर गए शब्दों में तह
रसभरी बातें वह कहें, कह न पाएं
खामोश वह रहें और उनको सुनाएं
धीरे-धीरे खुलना प्रतीक्षा को सह
पुकारते रहे कर गए शब्दों से तह।
धीरेन्द्र सिंह
13.09.2024
22.24
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