निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 9 सितंबर 2024

हर पल

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  ना कभी वक़्त - बेवक्त समय को ललकारा अवधि की कौन सोचे लगे हर पल प्यारा   कभी कुछ खनक उठती है जानी - पहचानी ललक धक लपक उठती जाग जिंदग...
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शनिवार, 31 अगस्त 2024

एडमिन

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 समूह के नाम सहित दूसरे समूह धमाल यह लोग कौन हैं जिनका कर्म है रुमाल एक समूह लिखें दूजे समूह नाम लहराएं एक-दूजे को कैसे आपस में देते उलझाएं ...

प्रेम

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 चलो दिल बस्तियों में हम समा जाएं प्रेम परिभाषित करें और गुनगुनाएं तृषित जो कामना ना होती मिलते क्यों नियॉन रोशनी में दिए सा जलते क्यों लौ ह...
गुरुवार, 29 अगस्त 2024

रचनाकार

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 नित नई रचनाएं भावनाओं की तुरपाई कुशलता है, अभ्यास है निज कौशल है, जरूरी नहीं कि रचनाकार बौद्धिक है; एक मुखौटा डालकर एक चांदनी तानकर रचनाओं ...
मंगलवार, 27 अगस्त 2024

बूंदे

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  बूंदों ने शुरू की जब अपनी बोलियां सखी - सहेलियों की उमड़ पड़ी टोलियां   सड़कों पर झूमता था उत्सवी नर्तन हवाएं भी संग सक्रिय गति परिवर...

भवितव्य

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 नेह का भी सत्य, देह का भी कथ्य इन दोनों के बीच है कहीं भवितव्य शिखर पर आसीन दूरदर्शिता भ्रमित तत्व का आखेट न्यायप्रियता शमित चांदी के वर्क ...
सोमवार, 26 अगस्त 2024

कामनाएं

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 उम्र की बदहवासी सारी उम्र सताए खासी मन गौरैया की तरह रहता है फुदकता कभी डाल पर कभी मुंडेर पर; मिटाती जाती है वह पंक्तियां जिसे लिखा था मनोय...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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